आज प्रभु वीर का शासन चल रहा है, और वह 21000 साल तक निरंतर चलता रहेगा, लेकिन आज हमारे पास स्वयं तीर्थकर परमात्मा तो नहीं है, परमात्मा की गेरहाजिरी मे हमे बचानेवाला, हमे तरानेवाला, हमारा रक्षणहार कौन? पंचम कालमें हमारे लिये रक्षणहार, तारणहार कोई है तो वह है जिन आगम, जिन बिम्ब!
जिन बिम्ब यानी जिन प्रतिमा,
जिन प्रतिमा, जिन मंदिर एवम् जिन मंदिर संबंधित सभी उपकरण भी हमारे लीये रक्षा करनेवाले तत्त्व है। उनकी रक्षा, सुरक्षा के लिये हमने क्या किया? नया मंदिर, नई प्रतिमा भरानी हो उसके लिये हम लाखो रुपयो का दान भी देगे, उल्लास-उमंग से बडा महोत्सव भी करेंगे लेकिन शास्त्रो के पन्ने पर लिखा गया है, नई प्रतिमा नया मंदिर बनानेसे भी अनंत गुना ज्यादा लाभ प्राचीन प्रतिमा-प्राचीन मंदिरकी सुरक्षा-संवर्धन- रक्षा-और शुद्धि करने में है। उसके लिये हमने क्या किया?
जो मंदिरमे हम रोज जाते है, जिस प्रमुकी हम रोज पूजा-भक्ति करते है उनकी रक्षा-सुरक्षा-उनकी शुद्धि के लिये हमने क्या किया?
जिस प्रतिमा-जिस प्रभुकी पूजा-भक्तिसे हम आगे-बढ़े, समृद्ध हुअे, प्रसन्न बने।
उस प्रभुकी रक्षा-सुरक्षा-शुद्धिकी हमारी कोइ जिम्मेदारी है या नहीं?
दिवाली आती है तो हम अपने घर-दुकानादि की शुद्धि करते है क्योकि घर-
दुकानादि मेरा है तो उसकी शुद्धि की जिम्मेदारी मेरी है, लेकिन मेरा मंदिर, मेरे प्रमु ऐसा
हमें कब लगा? मंदिर की, प्रभु के बिम्बकी शुद्धि हमने कब की?
द्रव्यसप्ततिका नामके ग्रंथ में अष्टप्रकारी के बाद नवम प्रकारकी पूजा बताई है वह है शुद्धिकरण ! कई लोग अष्टप्रकारी पूजा भी करते है लेकिन रोज न हो, सके तो सालमे १ बार, २ बार भी परमात्मा के मंदिर, बिम्ब की शुद्धि हमने कब की? नवम प्रकार की पूजा हमने कब की?
संसारमें पुण्य के बिना कुछ नहीं चलता-पुण्य प्राप्ति का Best उपाय कोई है, तो वह है परमात्माकी भक्ति - उसमें भी जिनालय शुद्धिकरण सबसे Best विकल्प है।
5 पांडव 20 करोड मुनिओ के साथ, शत्रुंजय गिरिराज से मोक्षमें पहुंचे दूसरी और आपने यह भी सुना है सुनामी, बहाड, कोरोनादि एवम् विश्वयुद्धादि में हजारो-लाखो लोग एक साथ मृत्यु प्राप्त करते है। इसका कारण है सामुहिक पुण्य के कार्य या सामुहिक पाप के कार्य!